मासूम कहानियाँ जिनमें इंसानियत अपने रोज़मर्रा के रूप में नज़र आती रहती है, उन्हें पढ़ना न सिर्फ एक मुस्कान दिए रहता है साथ ही स्फूर्ति भी देता है.…
समीक्षा: इरा टाक दिल ढूंढता है – उपन्यास | लेखक - राकेश मढोतरा सपनों और हकीकत की कश्ती में सवार हर इंसान जीवन के समंदर में इधर से उधर ड…
खुश्बू: रिस्क@इश्क... इरा टाक के रूमानी उपन्यास का अंंश शाज़िया के पास फिलहाल कोई चारा नहीं था. वो अनमनी सी मार्टिन के साथ कार से उतर …
पताका — इरा टाक साढ़े तीन सौ वर्ग गज पर बना चटक पीले रंग का "सरला सदन” गली में दूर से ही नज़र आता था, सरला सदन में बुजुर्ग तिवारी दंपत…
खौफ़नाक ड्राइव — इरा टाक अगस्त की एक भीगी सी शाम थी, निशा के कुछ दोस्त कोलकाता से मुंबई आए हुए थे। उनसे मिलने के लिए…
ऐसे तो शहर में कई दोस्त थे पर उसका हर किसी से घुलने मिलने का मन नहीं करता था और रोज़ रोज़ कब तक साथ के लिए भागो, अपने अकेलेपन से तो अकेले ही ल…