मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती मिर्ज़ा ग़ालिब का यह शेर बड़े दर्दनाक रूप में जयश्री रॉय की कहानी 'गुलमोहर' पर सही बैठता ह…
हमारी बेटियों का बचाव डिजिटल पढ़ाई में हो रहे बड़े लिंग विभाजन से भी हो डॉ शशि थरूर आज सुबह लोकसभा में डॉ शशि थरूर ने स्कूली छात्राओं व डिजिटल पढ़ाई …
खीसे निपोरते सरदारों को सीख देना मुझे बख़ूबी आता था। मैंने चुपचाप अपने पड़ोसी सरदार के सामने से (पता नहीं बल्ब वाले (खुशवंत सिंह) थे या बिना बल्ब वाले…
डॉ शशि थरूर का लेख: किसी परीकथा से भी आगे है सोनिया गांधी की जीवनकथा, जो गुजरी है बेहद दुरूह रास्तों से! सोनिया गांधी की असंभव कहानी! साभार नवजीव…
वरिष्ठ कहानीकार महावीर राजी की एक सुंदर कहानी 'शिनाख़्त' पढ़िए। महावीर राजी की कहानी शिनाख़्त
स्मृति: मन्नू भंडारी 1931-2021 ~ ममता कालिया
रानी माँ का चबूतरा मन्नू भंडारी की कहानी ‘खातिर हम क्या करेंगे काका, बच्चों को सुलाते-सुलाते देर हो गई।’ फिर बूढ़ी काकी की ओर घूमकर बोली, ‘काकी, क…
मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है। मन्नूजी अपने लेखन द्वारा महिलाओं को प्रदान अमिट आवाज़…
जैसे-जैसे मृदुलाजी के इन संस्मरणों को पढ़ता जाता हूँ, उनके, हिन्दी साहित्य की स्त्रियों के प्रति सम्मान बढ़ता है। भारत की महिलाओं को 'स्त्री विमर्…
अधजले पटाखे बटोरने वाली पीढ़ी ~ रघुवंश मणि वर्ष: १९७४, दीपावली। स्थान : फैजाबाद, चौक और उसके आसपास। समस्त पात्र काल्पनिक हैं।
दिव्या श्री, कला संकाय में स्नातक कर रही हैं। बेगूसराय बिहार की दिव्या श्री कविताएं लिखती हैं और अंग्रेजी अनुवाद में रुचि रखती हैं। उनकी कविताएं प्र…
मृदुला गर्ग जी का आज (25/10/21) जन्मदिन है। उन्हें ढेरों शुभकामनाएं। आनंद लीजिए उनके संस्मरण 'बल्ब वाले सरदारजी' के इस अंश का, जिसमें वह लिख…