छोटी-छोटी लाइनों में ख़ूब बड़ी-बड़ी बात बताते हुए, दंभ को परे सरकाए, दूर भगाए, शहर में ज़िंदगी को ढूंढते हुए, छोटे-छोटे शब्दों को करीने से सजाते ह…
पंखुरी सिन्हा की कवितायेँ माल रोड का अंतर राष्ट्रीय छात्रावास मुझतक आएँगी बातें ये चलकर आहिस्ता आहिस्ता फिरंगी शहरों के…