सत्यजित राय की कहानियाँ ब्राउन साहब की कोठी जब से ब्राउन साहब की डायरी मिली थी, बंगलौर जाने का मौका ढूँढ़ रहा था। और वह मौका अप्रत्याशित रूप में…
मत्स्यगंधा गीताश्री की कहानी “हे निषाद देवता...ई औरत तो सचमुच सनकल पुजारिन हो गई है। क्या गा रही है। सुरसती लोकगीत गाती है सुर में। गीतगाइन सुर…
मर्म, मुहब्बत और हमारी मानवीयता को उनकी गहरी परतों तक ले जाकर, बगैर कुछ ज़्यादा कहे, चित्त में बैठा देने वाली कहानी कैसी होनी चाहिए... बेशक यशपाल की …
देख तमाशा लकड़ी अंश 'काशी का अस्सी’ काशीनाथ सिंह शब्दांकन के पाठक कम मानीखेज नही हैं कि उनके मान की चिंता करो। चलते जाओ। बढ़ो। काशीनाथ सिंह …